Monday, December 11, 2006

My Stranger

एक अजनबी कुछ सालों से, कुछ अपनों के बीच रहता है
बेगाना अनजाना सा वो, जाने मुझसे क्या कहता है
अजनबी है इसलिए शायद पास आने से घबराता है
फिर क्यों ख़ामोशी मैं मुझसे घंटो बतियाता है
है गुमनाम मिलता है अंधेरों मैं
शायद पहचान से शर्माता है 
पर भीड़ मैं अकेला पा  मुझको अकसर,  पास मेरे आ जाता है
और अकेले में बनाने भीड़ से बचने, धुंद सा घुम हो जाता है
अपनों से भी करीब वो एहसास, क्यों खुद को मुझसे छिपाता हैं

अजनबियों   की इस भीड़ में, अकसर वो मेरा अपना  अजनबी कहलाता है