खामोश बातें , तन्हा रातें
भूली यादें, बिछड़ी मुलाकातें
याद आता है , तेरा साथ
जब तुम थे पास वो भूला सा अहसास
वो तेरा रूठना वो मेरा मनाना
वो छिपाना लोगों से, वो आँखों से जताना
बहुत कोशिश कर ली , यादों का साथ निभाने की
तुझे भुलाने की, रिश्तों को अहसास बनाने की
शब्दों का ये जादू अब सहा नहीं जाता
बहुत कुछ कहना है अब चुप रहा नहीं जाता
चलो एक बार फिर एक दूसरे को माफ़ करते हैं
बेमानी करते हैं दुनिया से, खुद से इन्साफ करते हैं
दगा करते हैं मौत से चलो ज़िन्दगी को चुनते हैं
करते हैं नई शुरुवात, ख्वाबों में मिलना छोड़
एक नया ख्वाब बुनते हैं
एक नया ख्वाब .........................
Monday, May 3, 2010
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brilliant !!!
ReplyDeleteI like the theme :)
एक नया ख्वाब बुनते हैं .. nice