Monday, April 5, 2010

life is a drawing sheet, with no eraser

नाम से तेरे दिन थे मेरे, नाम से तेरे थी रातें
कभी बातों में बहाने थे, कभी बहानों में थी बातें

नाम नही है अब फिर भी
दिन है राते हैं, बहाने है, बाते हैं
थमा नही कुछ बस टूटा सा है
अब भी रेत फिसलती है, झोंकें आते जाते हैं

बस सूरज अब थकी रात को सुलाने आ जाता है
और अंधियारे में हम, वो सूखे ख्वाब छुपाते हैं
अक्सर ख़ामोशी, कह जाती है किस्से सारे
तो यूँ ही हम, बिन बहाने बस बतियाते हैं

खुछ खफा हैं तुझसे, कुछ नाराजगी खुद से
ये शिकायत नही , क्यों थम कर कुछ पल, कुछ लोग चले जाते हैं
बस एक गिला है , क्यों बटोर वो ख़्वाब सारे, ढेर यादें छोड़ जाते हैं

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