मैं तो जिंदा था कि
पूरी कर जाऊँ हर तमन्ना उसकी
उसने माँगा भी
तो मुझसे जुदाई माँगी
थाम हाथ साथ निभाता
बेमंज़िल राहों पर कदम मिलाता
बना साया मेरा पर उसने
अपने लिए खुदाई माँगी
साँसों को क्या डर था
धड़कन से बेवफाई का
जो अपनी हर मुस्कुराहट पर
मेरे आंसुओं कि कुर्बानी माँगी
उनसे जिंदा था मेरा वज़ूद
क्यों उन्हें ख़ुद पर नही यकीं
पहचानने खुद को परायी आँखों में
मुझसे मेरे होने कि निशानी माँगी
ज़िंदगी ने अच्छा मज़ाक किया
बहाना भी दिया बहाना भी किया
मिलाया मुझको मेरे अजनबी से
और मुझसे मेरी जुदाई माँगी
ज़िंदगी ने अच्छा मज़ाक किया
बहाना भी दिया बहाना भी किया
छिटके रंग सारे मेरी किताब में
और मुझसे मेरी कहानी माँगी
Wednesday, March 31, 2010
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