लाख अपना बनाया इसको, पर हमसे ये बेगानी रही
जीते रहे कुछ किरदार हम, ये उसकी लिखी कहानी रही
समझ जहाँ दिखलाई, शह उसकी नादानी रही
और बचपन सा जब होए हम, हमसे ये सायानी रही
बाजी एक होती तो कब हार नामंजूर थी तुझसे रकीब
शिकवा ये की बदल बहाने तेरी जीत आनी जानी रही
बुनते रहे हम खवाब और ये कल की निशानी रही
उलझी जितना सुलझाया, ऐसी पहेली जिंदगानी रही
Monday, May 3, 2010
love's request
खामोश बातें , तन्हा रातें
भूली यादें, बिछड़ी मुलाकातें
याद आता है , तेरा साथ
जब तुम थे पास वो भूला सा अहसास
वो तेरा रूठना वो मेरा मनाना
वो छिपाना लोगों से, वो आँखों से जताना
बहुत कोशिश कर ली , यादों का साथ निभाने की
तुझे भुलाने की, रिश्तों को अहसास बनाने की
शब्दों का ये जादू अब सहा नहीं जाता
बहुत कुछ कहना है अब चुप रहा नहीं जाता
चलो एक बार फिर एक दूसरे को माफ़ करते हैं
बेमानी करते हैं दुनिया से, खुद से इन्साफ करते हैं
दगा करते हैं मौत से चलो ज़िन्दगी को चुनते हैं
करते हैं नई शुरुवात, ख्वाबों में मिलना छोड़
एक नया ख्वाब बुनते हैं
एक नया ख्वाब .........................
भूली यादें, बिछड़ी मुलाकातें
याद आता है , तेरा साथ
जब तुम थे पास वो भूला सा अहसास
वो तेरा रूठना वो मेरा मनाना
वो छिपाना लोगों से, वो आँखों से जताना
बहुत कोशिश कर ली , यादों का साथ निभाने की
तुझे भुलाने की, रिश्तों को अहसास बनाने की
शब्दों का ये जादू अब सहा नहीं जाता
बहुत कुछ कहना है अब चुप रहा नहीं जाता
चलो एक बार फिर एक दूसरे को माफ़ करते हैं
बेमानी करते हैं दुनिया से, खुद से इन्साफ करते हैं
दगा करते हैं मौत से चलो ज़िन्दगी को चुनते हैं
करते हैं नई शुरुवात, ख्वाबों में मिलना छोड़
एक नया ख्वाब बुनते हैं
एक नया ख्वाब .........................
Monday, April 5, 2010
life is a drawing sheet, with no eraser
नाम से तेरे दिन थे मेरे, नाम से तेरे थी रातें
कभी बातों में बहाने थे, कभी बहानों में थी बातें
नाम नही है अब फिर भी
दिन है राते हैं, बहाने है, बाते हैं
थमा नही कुछ बस टूटा सा है
अब भी रेत फिसलती है, झोंकें आते जाते हैं
बस सूरज अब थकी रात को सुलाने आ जाता है
और अंधियारे में हम, वो सूखे ख्वाब छुपाते हैं
अक्सर ख़ामोशी, कह जाती है किस्से सारे
तो यूँ ही हम, बिन बहाने बस बतियाते हैं
खुछ खफा हैं तुझसे, कुछ नाराजगी खुद से
ये शिकायत नही , क्यों थम कर कुछ पल, कुछ लोग चले जाते हैं
बस एक गिला है , क्यों बटोर वो ख़्वाब सारे, ढेर यादें छोड़ जाते हैं
कभी बातों में बहाने थे, कभी बहानों में थी बातें
नाम नही है अब फिर भी
दिन है राते हैं, बहाने है, बाते हैं
थमा नही कुछ बस टूटा सा है
अब भी रेत फिसलती है, झोंकें आते जाते हैं
बस सूरज अब थकी रात को सुलाने आ जाता है
और अंधियारे में हम, वो सूखे ख्वाब छुपाते हैं
अक्सर ख़ामोशी, कह जाती है किस्से सारे
तो यूँ ही हम, बिन बहाने बस बतियाते हैं
खुछ खफा हैं तुझसे, कुछ नाराजगी खुद से
ये शिकायत नही , क्यों थम कर कुछ पल, कुछ लोग चले जाते हैं
बस एक गिला है , क्यों बटोर वो ख़्वाब सारे, ढेर यादें छोड़ जाते हैं
die every moment to live every moment
पंख न थे, उड़ने की चाहत थी मगर
तो हवाओं में ही हम कदम बढ़ाने लगे
धुंधली मंज़िल थी पर चलने की मोहब्बत में
चुन डगर अपनी, मील के पत्थरों से मंज़िल बनाने लगे
नींद गुम थी, रातों से भी हो गई थी यारी
कर सूखी आँखे नम, जागते पलों में सपने सजाने लगे
दर्द आया जब खुशियों के खातों से भी
छोड़ फ़िक्र जी कर उसके लिए, रोते रोते ही मुस्कुराने लगे
ठंडा था चिराग मेरा, अँधेरे रास आये उसको
करने रोशन नयी राहें, पुरानी यादें जलाने लगे
जीना हो हर पल, कर दोस्ती मौत से
तरीका जीने का समझने, क्यों साहिल तुझे इतने बहाने लगे
तो हवाओं में ही हम कदम बढ़ाने लगे
धुंधली मंज़िल थी पर चलने की मोहब्बत में
चुन डगर अपनी, मील के पत्थरों से मंज़िल बनाने लगे
नींद गुम थी, रातों से भी हो गई थी यारी
कर सूखी आँखे नम, जागते पलों में सपने सजाने लगे
दर्द आया जब खुशियों के खातों से भी
छोड़ फ़िक्र जी कर उसके लिए, रोते रोते ही मुस्कुराने लगे
ठंडा था चिराग मेरा, अँधेरे रास आये उसको
करने रोशन नयी राहें, पुरानी यादें जलाने लगे
जीना हो हर पल, कर दोस्ती मौत से
तरीका जीने का समझने, क्यों साहिल तुझे इतने बहाने लगे
Thursday, April 1, 2010
one little complain
नकाब हैं चहरे, हर चेहरा नकाब , बेवफाई के सौदे में वफ़ा का हिसाब
हर बनती उम्मीद पर टूटते कुछ ख्वाब, मुश्किल सवाल नामुमकिन से जवाब
बन कर मिटना या मिट कर बनना, बनाना खुद सा या उस जैसा ढलना
बेसबब मोहब्बत पर शर्तें फिर कसना, भूल सब कुछ हर भूल याद करना
खोया खुद को बस उसके हो के रह गए, थोड़ा रोये थोड़ा मुस्कुराते सह गए
झूटे नहीं तुम पर झूटा हर सच तेरा, वफ़ा के इनाम में वो हमें बेवफा कह गए
इबादात थी वो मेरी , मोहब्बत तुने जिसे ठुकरा दिया
तेरी खुदाई से ही थी दुनिया , जिसे तूने मिटा दिया
हर बनती उम्मीद पर टूटते कुछ ख्वाब, मुश्किल सवाल नामुमकिन से जवाब
बन कर मिटना या मिट कर बनना, बनाना खुद सा या उस जैसा ढलना
बेसबब मोहब्बत पर शर्तें फिर कसना, भूल सब कुछ हर भूल याद करना
खोया खुद को बस उसके हो के रह गए, थोड़ा रोये थोड़ा मुस्कुराते सह गए
झूटे नहीं तुम पर झूटा हर सच तेरा, वफ़ा के इनाम में वो हमें बेवफा कह गए
इबादात थी वो मेरी , मोहब्बत तुने जिसे ठुकरा दिया
तेरी खुदाई से ही थी दुनिया , जिसे तूने मिटा दिया
a puzzle yet unsolved
नामुमकिन थी हकीकत, तो ज़िन्दगी ख्वाब बना ली
छोटे से उस जहान में भी क्यों मजबूर हो गए
बिछड़ कर भी तय किये मीलों फासले पास आने
करीब आ कर क्यों दो किनारों जितना हम दूर हो गए
दूजे के भरोसे पे जीत ली थी दुनिया सारी
आपस में क्यों ये हौसले चूर हो गए
अपनों की परायी भीड़ में, एक अज़नबी नहीं पराया था
क्यों अपना बन कर , एक दूसरे को नामंजूर हो गए
छोटे से उस जहान में भी क्यों मजबूर हो गए
बिछड़ कर भी तय किये मीलों फासले पास आने
करीब आ कर क्यों दो किनारों जितना हम दूर हो गए
दूजे के भरोसे पे जीत ली थी दुनिया सारी
आपस में क्यों ये हौसले चूर हो गए
अपनों की परायी भीड़ में, एक अज़नबी नहीं पराया था
क्यों अपना बन कर , एक दूसरे को नामंजूर हो गए
i love my tears ohh 'the almighty' let it be mine
कोई रुसवाई, शिकायत, चाहत या आरज़ू नहीं मेरी
ऐ ज़िन्दगी मुझे आईने न दिखा
सूखी आँखों में कोई रंग, ख्वाब बाकी नहीं अब
ऐ ज़िन्दगी जगती रातों को न सुला
न मंज़िले सोच रखी हैं, न मील के पत्थरों से पहचान है
ऐ ज़िन्दगी मुझ पर मेरी आवारगी न जता
बस एक साया मेरे मानिंद, साथ मेरे भटकते कदम मिलाता है
कभी गिर पड़ता है साथ, कभी उठाने हाथ बढ़ाता है
कभी साथ आँखे नाम करता है , कभी तितलियों में ख़ुशी चुराता है
खुद से दूर होने की कोशिशों में जो, रफ्ता रफ्ता पास मेरे आता है
जो हो सके तो रहने दे उस साये को साथ ही मेरे
इस ख्वाब को हकीक़त की सुबह न दिखा
हँस लेने दे चटके कल की टूटी तस्वीरों पर
ऐ ज़िन्दगी अब किसी उम्मींदों में हमें न रुला
ऐ ज़िन्दगी मुझे आईने न दिखा
सूखी आँखों में कोई रंग, ख्वाब बाकी नहीं अब
ऐ ज़िन्दगी जगती रातों को न सुला
न मंज़िले सोच रखी हैं, न मील के पत्थरों से पहचान है
ऐ ज़िन्दगी मुझ पर मेरी आवारगी न जता
बस एक साया मेरे मानिंद, साथ मेरे भटकते कदम मिलाता है
कभी गिर पड़ता है साथ, कभी उठाने हाथ बढ़ाता है
कभी साथ आँखे नाम करता है , कभी तितलियों में ख़ुशी चुराता है
खुद से दूर होने की कोशिशों में जो, रफ्ता रफ्ता पास मेरे आता है
जो हो सके तो रहने दे उस साये को साथ ही मेरे
इस ख्वाब को हकीक़त की सुबह न दिखा
हँस लेने दे चटके कल की टूटी तस्वीरों पर
ऐ ज़िन्दगी अब किसी उम्मींदों में हमें न रुला
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