Thursday, April 1, 2010

one little complain

नकाब हैं चहरे, हर चेहरा नकाब , बेवफाई के सौदे में वफ़ा का हिसाब
हर बनती उम्मीद पर टूटते कुछ ख्वाब, मुश्किल सवाल नामुमकिन से जवाब

बन कर मिटना या मिट कर बनना, बनाना खुद सा या उस जैसा ढलना
बेसबब मोहब्बत पर शर्तें फिर कसना, भूल सब कुछ हर भूल याद करना

खोया खुद को बस उसके हो के रह गए, थोड़ा रोये थोड़ा मुस्कुराते सह गए
झूटे नहीं तुम पर झूटा हर सच तेरा, वफ़ा के इनाम में वो हमें बेवफा कह गए

इबादात थी वो मेरी , मोहब्बत तुने जिसे ठुकरा दिया
तेरी खुदाई से ही थी दुनिया , जिसे तूने मिटा दिया

1 comment: